Sonia Jadhav

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लेख इयर कविता प्रतियोगिता- 4) वृद्धावस्था

कविता का शीर्षक-वृद्धावस्था

वृद्धावस्था आते ही क्या,
सपने भी वृद्ध हो जाते हैं?

आखिर क्यों हम,
बढ़ती उम्र को ,
ख्वाहिशों का अंत मान लेते हैं?

भजन-कीर्तन, सादी खिचड़ी ,
और बीपी, शूगर में,
उलझ कर रह जाती है जिंदगी।

हम क्यों यह समझ नहीं पाते,
उम्र बढ़ने का मतलब ,
इच्छाओं का मरना नहीं है।

दिल में अभी भी मोहब्बत,
जिव्हा में स्वाद,
आँखों में ख्वाहिशें बाकी हैं।

जब तक साँसे चल रही हैं,
तब तक जिंदगी में उम्मीद बाकि है।

❤सोनिया जाधव

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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

14-Feb-2022 12:58 AM

बहुत खूबसूरत

Reply

Preeta

13-Feb-2022 09:58 PM

गुड...

Reply

जी अति सुन्दर।

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